तुलसीदास रचित “कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो” पद की व्याख्या : Kabhunk haun yahi rahani rahaungo
कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो।
तुलसीदास की भक्ति भावना : Tulsidas ki bhakti bhawna तुलसीदास का राम भक्ति शाखा में योगदान रेखांकित करें। अथवा …
मन पछितैंहैं अवसर बीते पद की व्याख्या : Man pachhitaihain avsar beete “मन पछितैंहैं अवसर बीते। दुर्लभ देह पाइ …
कबहुंक हौं यहि रहनि रहौंगो।
तुलसीदास रचित “ऐसो को उदार जग माहीं” पद की व्याख्या : Aeso ko udaar jag maahi ऐसो को उदार …
जो निज मन परि हरै विकारा पद की व्याख्या “जो निज मन परि हरै विकारा । तौ …
केसव कहि न जाइ का कहिये पद की व्याख्या : kesav kahi na jai ka kahiye “केसव कहि …
माधव मोह-पास क्यों छूटै पद की व्याख्या : Madhav moh paas kyo chhute “माधव मोह-पास क्यों छूटै। बाहर कोट …
ऐसी मूढ़ता या मन की पद की व्याख्या : Aisi mudhta ya man ki pad ki vyakhya “ऐसी मूढ़ता …
राम जपु राम जपु पद की व्याख्या :Ram japu ram japu pad ki vyakhya “राम जपु राम जपु, राम …