मोर पखा सिर ऊपर राखिहौ पद की व्याख्या
मोर पखा सिर ऊपर राखिहौ पद की व्याख्या मोर पखा सिर ऊपर राखिहौं गुंज की माला गरे पहिरौंगी। ओढि …
मोर पखा सिर ऊपर राखिहौ पद की व्याख्या मोर पखा सिर ऊपर राखिहौं गुंज की माला गरे पहिरौंगी। ओढि …
मानुस हौं तो वही रसखान सवैये की व्याख्या मानुस हौं तो वही रसखान बसौ ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। …
जो निज मन परि हरै विकारा पद की व्याख्या “जो निज मन परि हरै विकारा । तौ …
केसव कहि न जाइ का कहिये पद की व्याख्या : kesav kahi na jai ka kahiye “केसव कहि …
अस कछु समुझि परत रघुराया पद की व्याख्या : As kachhu samujhi parat raghuraya “अस कछु समुझि परत …
राम जपु राम जपु पद की व्याख्या :Ram japu ram japu pad ki vyakhya “राम जपु राम जपु, राम …
धर्मवीर भारती की कविता ‘बोआई का गीत’ की मूल संवेदना : Boaai ka geet धर्मवीर भारती हिंदी कविता …
यह धरती है उस किसान की कविता की मूल संवेदना : Yeh dharti hai us kisaan ki प्रस्तुत कविता …
छात्रावास में कविता पाठ कविता की मूल संवेदना : Chhatrawas me kavita path छात्रावास में कविता पाठ कविता समकालीन …
परिसर कविता की मूल संवेदना : Parisar kavita ki mool samvedna परिसर कविता ऋतुराज की लेखनी से सृजित है। …