आदित्य एल-1 मिशन : Aditya L-1 mission
चांद पर अपनी सफलता का परचम लहराने के बाद भारतीय रिसर्च और अनुसंधान संस्थान ISRO ने आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च करने की घोषणा की। आदित्य एल-1 मिशन 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया। मूल रूप से इसकी घोषणा इसरो द्वारा 2008 में की गई थी, लेकिन इसको लॉन्च अब किया गया।
ग़ौरतलब है कि, प्रारंभ में आदित्य एल-1 मिशन का नाम आदित्य-1 मिशन था, बाद में इसके नाम को बदलकर आदित्य एल-1 मिशन रखा गया। आदित्य जिसका अर्थ है-सूर्य, इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह सूर्य को समर्पित एक मिशन है। इस मिशन के साथ ही भारत, अमेरिका, यूरोप, और जापान के बाद चौथा देश बन गया जिसने अपना उपग्रह सूर्य पर भेजा।
आदित्य एल-1 मिशन के चर्चा की वजह-
आदित्य एल-1 मिशन के ख़बरों में बने रहने की सबसे बड़ी वजह है, इसरो द्वारा इसके लॉन्च की डेट की घोषणा। आदित्य एल-1 मिशन 2 सितंबर 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सुबह 11:50 पर लॉन्च किया गया। इसरो ने नागरिकों से आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च का प्रत्यक्षदर्शी बनने के लिए सुविधा भी प्रदान की थी। इसरो की वेबसाइट पर रजिस्टर कर कोई भी आदित्य एल-1 मिशन की लॉन्चिंग देख सकता था, इसके लिए इसरो ने अलग से व्यवस्था की थी। यह सूर्य को समर्पित भारत का पहला ऑब्जर्वेटरी बेस्ड स्पेस मिशन है।
आदित्य एल-1 मिशन से जुड़ा तकनीकी पहलू-
आदित्य एल-1 मिशन सूर्य को समर्पित एक स्पेस ऑब्जर्वेटरी मिशन है। इसका कुल वजन 400 किलोग्राम या 880 पाउंड है। इसके लॉन्चिंग के लिए पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल C-57 (PSLV C-57) का इस्तेमाल किया गया। आदित्य एल-1 नाम के पीछे L यानी लैग्रैंजियन पॉइंट है, जहां पर यह मिशन स्थापित किया गया।
हाल ही में आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट ऑफ़ ऑब्जरवेशन साइंसेज (ARIES) और बेल्जियम के रॉयल ऑब्जर्वेटरी के साइंटिस्ट ने मिलकर कोरोनल मास इजेक्शन को ट्रैक करने के लिए कुछ एल्गोरिदम विकसित किया है, जिसकी मदद से आदित्य L-1 मिशन अपना रिसर्च करेगा। आदित्य L-1 मिशन का कार्यकाल 5 वर्ष है, यानी कि यह मिशन 5 वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा। आदित्य L-1 को अपनी कक्षा में स्थापित होने में लगभग 125 दिन का समय लगेगा। यह रोज 1440 तस्वीरें पृथ्वी पर भेजेगा।
क्या है लैंग्रेंज पॉइंट?
सूर्य से पृथ्वी के बीच ऐसा पॉइंट जहां पर सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल एक समान होते हैं, इसे लैग्रेंज पॉइंट कहते हैं। यहां पर कोई भी पिंड स्थिर अवस्था में रहता है, क्योंकि गुरुत्वाकर्षण बल बराबर होने से न तो सूर्य और न ही पृथ्वी अपनी तरफ खींच पाती है।
लैग्रेंज पॉइंट का कॉन्सेप्ट इटालियन फ्रेंच मैथमेटिशियन जोसेफी लुई लैंग्रेंज के नाम पर रखा गया है। अभी तक ऐसे पांच लैग्रेंज पॉइंट की खोज की जा चुकी है जिनका नाम क्रमशः L1, L2, L3, L4 और L5 है। L-1 पृथ्वी से 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है, जो कि पृथ्वी से सूर्य की कुल दूरी का एक प्रतिशत है।
L1 पॉइंट पर यूरोपियन एजेंसी का सेटेलाइट SOHO जिसका पूरा नाम ‘सोलर एंड हेलियोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी सेटेलाइट’ है पहले से ही मौजूद है। यहीं पर आदित्य L-1 मिशन भी स्थापित किया जा रहा है। इसके अलावा नासा और यूरोपियन यूनियन का संयुक्त प्रोजेक्ट जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप लैग्रेंज पॉइंट 2 पर स्थापित है।
लैग्रेंज पॉइंट पर अपना सैटेलाइट स्थापित करने से ईंधन की खपत कम की जा सकती है, इसलिए वैज्ञानिक स्पेस ऑब्जर्वेटरी के लिए अक्सर लैग्रेंज पॉइंट्स का इस्तेमाल करते हैं।
पेलोड्स-
आदित्य एल-1 मिशन में 7 वैज्ञानिक पेलोड्स मौजूद हैं। जिसके माध्यम से सूर्य किरीट या कोरोना, प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन किया जाएगा। पेलोड्स के निर्माण में 15 वर्ष लग गए। जिस वजह से 2008 में सौर मिशन के विचार से लेकर इस मिशन को धरातल पर लाने में इतना समय लगा।
1) पेलोड 1-
इसका नाम विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) है, जो सूर्य की बाहरी परत यानी सूर्य कोरोना और कोरोनल मास इजेक्शन का अध्ययन करेगा। यह इस मिशन का सबसे बड़ा और सबसे भारी पेलोड है। ग़ौरतलब है कि सूर्य कोरोना का तापमान लगभग 6000 डिग्री सेल्सियस है।
2) पेलोड 2-
यह सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप जिसको शॉर्ट में SUIT कहते हैं। यह डिवाइस अल्ट्रावायलेट के निकट सोलर फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर का अध्ययन करेगा।
3) पेलोड 3-
आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX) सौर पवन, सौर आयन और सूर्य की ऊर्जा वितरण का अध्ययन करेगा।
4) पेलोड 4-
प्लाज्मा एनालिसिस पैकेज फॉर आदित्य (PAPA) पेलोड भी सौर पवन, सौर आयन और ऊर्जा वितरण का अध्ययन करने के लिए डिजाइन किया गया है।
5) पेलोड 5-
पेलोड 5 का पूरा नाम सोलर को एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEX) है जो कि सूर्य से आने वाली X-rays का अध्ययन करेगा।
6) पेलोड 6-
इसे हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) नाम दिया गया है जो की सोलेक्स की तरह X-rays ऊर्जा रेंज में सूर्य से आने वाली X-rays का अध्ययन करेगा।
7) पेलोड 7-
पेलोड 7 एडवांस्ड ट्राएक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर है जो की लैग्रेंज पॉइंट 1 पर दो ग्रहों के बीच के चुंबकीय क्षेत्र का मापन करेगा।
इस प्रकार आदित्य L-1 मिशन के 7 पेलोड्स में से 4 पेलोड्स सूरज का अध्ययन करेंगे, जबकि 3 पेलोड्स L-1 यानी लैग्रेंज पॉइंट 1 पर फोकस रखेंगे।
आदित्य एल-1 मिशन का उद्देश्य-
आदित्य एल-1 मिशन सूर्य के अध्ययन को समर्पित ऐसा मिशन है, जो सौर वायुमंडल के विभिन्न परतों ख़ासकर फोटोस्फीयर, सूर्य कोरोना (सबसे बाहरी परत), सौर उत्सर्जन, अल्ट्रावायलेट किरणों, सौर ज्वाला, कोरोनल मास इजेक्शन, कणों का प्रवाह, इत्यादि का अध्ययन करेगा और प्राप्त डाटा को विश्लेषण हेतु प्रेषित करेगा। इसके अलावा अंतरिक्ष के मौसम और वातावरण की जानकारी इकट्ठा करना, लैग्रेंज पॉइंट की इमेजिंग करना आदित्य एल-1 मिशन के अंतर्गत आता है।
महत्त्व एवं संभावनाएं-
हम जानते हैं कि सूर्य हमारे सौरमंडल का केंद्र बिंदु है। सारे ग्रह और उपग्रह इसी के इर्द-गिर्द चक्कर लगाते हैं। हमारी पृथ्वी के लिए भी ऊर्जा का प्रमुख स्रोत सूर्य ही है। जिसकी वजह से यहां पर जीवन संभव है। इसके अलावा सूर्य, पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा है, जिस वजह से हमें इसके अध्ययन करने में आसानी होती है। पृथ्वी पर दिन-रात, जलवायु और मौसम संबंधी विभिन्न घटनाओं- भूकंप, बाढ़, ज्वार-भाटा, ज्वालामुखी, तूफान इत्यादि में सूर्य का बहुत बड़ा रोल है। इसलिए सूर्य का अध्ययन करना हमारे लिए और भी ज़रूरी हो जाता है।
इससे जीवन की उत्पत्ति से संबंधित रहस्यों को सुलझाने में सहायता मिलेगी साथ ही मौसम और घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना भी संभव हो सकता है । इसके अलावा उपग्रहों और संचार उपग्रहों से संबंधित योजनाएं बनाने के लिए भी सूर्य की सटीक जानकारी ज़रूरी हो जाती है।
इस प्रकार आदित्य एल-1 मिशन के माध्यम से सूर्य के बारे में सटीक जानकारी एकत्रित कर भविष्य के लिए अंतरिक्ष मिशन और मौसम पूर्वानुमान तथा संचार उपग्रह से संबंधित योजनाएं बनाने में आसानी होगी जिससे आदित्य एल-1 मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान और संचार उपग्रह की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
© प्रीति खरवार
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Very interesting points you have observed, regards for posting.Blog monry