विवाह में एक स्त्री का स्थाई विस्थापन तो होता है लेकिन पुनर्वास अमूमन नहीं.हैरानी और दुख की बात तो ये है कि सदियों से हो रहे इस विस्थापन पर नजर तक नहीं जाती समाज सुधारकों और समाजशास्त्रियों की ,ऐसे में संवेदना और सुलझन की उम्मीद बेमानी है.छोटी बच्चियों से लेकर महत्त्वाकांक्षी युवतियों तक देश की लगभग हर लडकी बचपन से इस विस्थापन के लिए इस मनोवैैज्ञनिक खूबसूरती से तैयार की जाती है कि इसे वे अपनी नियति से जोडकर देखती हैं.ये एक ऐसा सौदा है जिसमें स्त्रियाँ हमेशा से घाटे में रहती आई है.(हालाँकि पढी-लिखी बेटियों के अमीर माँ-बाप भी इस सौदे के लिए मरे जाते हैं)सुदूर भविष्य में कोई गुंजाइश दिखती हैं लडकियों के लिए,अभी तो कहीं तनिक सी राहत दिख जाए बेशक,बाकी हालात बेहद अफसोसनाक और चिंताजनक हैं.

आइए,हम अपनी बच्चियों को एक बेहतर समाज,समय और जीवन का सपना देखना सिखाएँ,उनके मित्र,उनके सहयात्री बनें !!

 Dr. Sanju Sadaneera

Dr. Sanju Sadaneera

डॉ. संजू सदानीरा एक प्रतिष्ठित असिस्टेंट प्रोफेसर और हिंदी साहित्य विभाग की प्रमुख हैं।इन्हें अकादमिक क्षेत्र में बीस वर्षों से अधिक का समर्पित कार्यानुभव है। हिन्दी, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान विषयों में परास्नातक डॉ. संजू सदानीरा ने हिंदी साहित्य में नेट, जेआरएफ सहित अमृता प्रीतम और कृष्णा सोबती के उपन्यासों पर शोध कार्य किया है। ये "Dr. Sanju Sadaneera" यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी शिक्षा के प्रसार एवं सकारात्मक सामाजिक बदलाव हेतु सक्रिय हैं।

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