विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी

विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी

 

प्रत्येक वर्ष विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को दुनिया भर में मनाया जाता है। यह दिन हिंदी भाषा के महत्त्व और योगदान के प्रति जागरुकता बढ़ाने का एक अवसर प्रदान करता है। हिंदी केवल एक देश की भाषा नहीं है बल्कि यह दुनिया में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में अंग्रेजी और मंडारिन के बाद तीसरे स्थान पर आती है। आज भारत देश की जनसंख्या दुनिया में सर्वाधिक है । इसी के साथ यह दुनिया के सबसे बड़े बाज़ार के तौर पर उभर कर सामने आया है। अब जबकि हिंदी भारत की राजभाषा है,देश की एक बड़ी आबादी की मातृभाषा है और संपर्क भाषा के रूप में यह निरंतर बढ़ रही है,ऐसे में विश्व हिंदी दिवस का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

 

ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाये जाने की शुरुआत 1975 ई. में नागपुर से हुई थी जब पहला विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस ऐतिहासिक सम्मेलन के बाद से अब तक पोर्ट लुईस, स्पेन, लंदन, न्यूयॉर्क, जोहान्सबर्ग इत्यादि समेत भारत में विश्व हिंदी सम्मेलनों का आयोजन किया जा चुका है। विश्व हिंदी दिवस का वर्तमान स्वरूप 2006 में अस्तित्व में आया जब पहली बार 10 जनवरी को नियमित रूप से विश्व हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत की गई। तब से अब तक हर वर्ष नियमित रूप से इसका आयोजन दुनिया भर में किया जा रहा है। ग़ौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक व सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को ने 1948 में हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषाओं की सूची में शामिल किया था जो कि हिंदी भाषा के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ।

संयुक्त राष्ट्र सभा में पहली बार 1949 में हिंदी भाषा का प्रयोग किया गया। भारत का संविधान लागू होने के समय 1950 में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला जिसके बाद इसने प्रशासन,शिक्षा और मीडिया के क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाया। हिंदी में शोध के लिए भारत सरकार ने 1963 में केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना की। देशभर में इसके आठ केंद्र हैं जो हिंदी के विकास के लिए समर्पित हैं। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए मॉरीशस के पोर्ट लुइस में 2018 में विश्व हिंदी सचिवालय भवन का उद्घाटन किया गया। इस तरह हिंदी भाषा भारत देश से निकलकर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बन चुकी है और इस क्षेत्र में नित नई संभावनाओं के द्वार खुल रहे हैं।

 

हिंदी भाषा से जुड़े कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

हिंदी भाषा भारत की आधिकारिक भाषाओं में से प्रमुख स्थान रखती है। यह भाषा इंडो यूरोपियन भाषा परिवार की इंडो आर्यन शाखा से संबंधित है। हिंदी का उद्भव शौरसेनी अपभ्रंश से हुआ और अवहट्ट से होते हुए एक लंबी यात्रा के बाद वर्तमान स्वरूप में आई है। कालांतर में इसमें उल्लेखनीय बदलाव आए और इससे संबंधित नई-नई बोलियां विकसित हुईं। एक भाषा के रूप में हिन्दी राजभाषा है,जिसकी पांच उपभाषाएं और इन उपभाषाओं की अठारह बोलियां हैं। पश्चिमी हिंदी की एक बोली खड़ी बोली के मानक रूप को हिंदी के रूप में राजभाषा का दर्जा दिया गया। इस प्रकार इसके विस्तृत और संकीर्ण कई अर्थ हैं।

इन क्षेत्रीय विविधताओं ने हिंदी के विकास में अहम भूमिका निभाई। ‘हिंदी’ शब्द की उत्पत्ति फ़ारसी भाषा से हुई है। 11वीं शताब्दी की शुरुआत में तुर्की आक्रमणकारियों ने सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र की भाषा को हिंदी यानी सिंधु नदी की भूमि की भाषा नाम दिया। कालांतर में यही व्यवस्थित रूप में हिंदी कहलाई। हिंदी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में हिंदी का उल्लेख किया गया है। संविधान का अनुच्छेद 351 हिंदी भाषा के विकास से संबंधित है।

 

हिंदी का वैश्विक प्रभाव और विस्तार

विश्व हिंदी दिवस हिंदी भाषा के वैश्विक प्रभाव और पहुंच को दर्शाता है। हिंदी न सिर्फ़ भारत बल्कि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और खाड़ी देशों में भी भारतीय प्रवासियों की वजह से महत्त्वपूर्ण बन गई है। हिन्दी अपनी एक उपभाषा बिहारी की एक बोली भोजपुरी के रूप में भारत के बाहर कई देशों में आधिकारिक रूप से बोली जाती है। इनमें मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, टोबैगो और नेपाल इत्यादि उल्लेखनीय हैं। गौरतलब है कि भोजपुरी विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली बोली है,जो प्रकारांतर से हिंदी का वर्चस्व दर्शाती है। भारतीय सिनेमा ख़ासतौर पर बॉलीवुड ने दुनिया भर में हिंदी को लोकप्रिय बनाने में खास भूमिका निभाई है। हिंदी की फ़िल्मों, संगीत और साहित्य ने देश की सीमा से बाहर बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित किया है। हिंदी केवल एक भाषा नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन का प्रतीक भी बन चुकी है। हिंदी के वैश्विक स्तर पर प्रचार प्रसार में सरकारी और सांस्कृतिक संगठनों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। विश्व हिंदी दिवस पर आयोजित किए जाने वाले सम्मेलन और कार्यक्रम इसके लिए एक बेहतरीन मंच प्रदान करते हैं जो हिंदी के विकास, इसकी चुनौतियों और संभावनाओं में अहम भूमिका निभाते हैं।

 

प्रौद्योगिकी और हिंदी का भविष्य

आज के डिजिटल युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ने दुनिया भर में क्रांति लाने का काम किया है। इसके साथ ही इंटरनेट और सोशल मीडिया ने हिंदी में कॅरियर की नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म्स, वेबसाइट्स, ब्लॉग, ई-लर्निंग, यूट्यूब इत्यादि हिंदी के कंटेंट के लिए आर्थिक संभावनाएं तैयार कर रहे हैं। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्में, ड्रामा और सीरीज ने भारतीय दर्शकों के लिए हिंदी में डब्ड कंटेंट का एक नया बाज़ार तैयार किया है। इस तरह साहित्य, सिनेमा और मीडिया हिंदी के विकास में खासा महत्त्व रखते हैं। वैश्वीकरण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने हिंदी भाषा को बाज़ार के अनुकूल बनाने और मौद्रिकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 

हिंदी की चुनौतियां और संभावनाएं

हालांकि हिंदी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह बनाई है लेकिन इसे अभी भी बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। शहरी और एलीट दिखने की चाह में हिंदी की जानकारी कम होना या न होना गर्व और प्रदर्शन का विषय बना हुआ है जो कि बेहद निराशाजनक है। इसके साथ ही हिंदी भाषा में आज भी प्रतिष्ठित और स्थायी तौर पर रोजगार के अवसर सीमित हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियां के इंटरव्यूज में हिंदी के बजाय अंग्रेज़ी भाषा बोलने वालों को तरजीह दी जाती है। यहां तक कि बहुत सारे घरों में बचपन से ही बच्चों को हिंदी की उपेक्षा कर अंग्रेज़ी बोलने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके पीछे भी समाज की वह मानसिकता ज़िम्मेदार है जो हिंदी और हिंदी बोलने वालों को हेय दृष्टि से देखती है। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि सभी भाषाओं का अपना महत्त्व है और ये एक दूसरे की विरोधी नहीं बल्कि साथी हैं। बहुत सारी भाषाएं जानना अच्छी बात है,लेकिन किसी एक को छोटा या बड़ा समझना ठीक नहीं है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास करने की ज़रूरत है। शिक्षा प्रणाली में हिंदी के महत्त्व को बढ़ाना,रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराना और हिंदी की मानक सामग्री के विस्तार को प्रोत्साहित करना इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। दुनिया की सबसे प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी हर साल हिंदी के शब्दों को जगह दे रही है, जो हिंदी भाषा के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। ऐसे में विश्व हिंदी दिवस हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित और प्रसारित करने के लिए ख़ास दिन है। विश्व हिंदी दिवस हिंदी के प्रति प्रेम,सम्मान और प्रासंगिकता के साथ ही इसके सांस्कृतिक,ऐतिहासिक और वैश्विक महत्त्व को रेखांकित करने की लिए भी महत्त्वपूर्ण है।

विश्व हिंदी दिवस मात्र भाषा का उत्सव नहीं बल्कि यह वैश्विक शांति और सद्भावना बढ़ाने का भी एक अवसर है। यह सीमाओं से परे लोगों को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है। हिंदी वैश्विक स्तर पर हमारी पहचान है। हिंदी भाषा के विकास के लिए ज़रूरी है कि इसमें समय और प्रासंगिकता के अनुसार बदलाव किये जाएं। विद्यालय स्तर से ही प्रशिक्षित भाषा विशेषज्ञ तैयार करने की रूपरेखा विकसित की जाए जो विद्यार्थियों में लेखन व रचनात्मक कौशल हेतु रूचि का सृजन करें।इसके साथ ही तकनीकी और वैज्ञानिक जगत को साधने वाली वैश्विक गति के साथ कदमताल मिलाते हुए चलने के लिए नूतन शब्दावली का विकास,स्वीकार्यता ,संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए इसमें गतिशीलता और अनुकूलनशीलता का होना भी आवश्यक है, तभी हम विश्व हिंदी दिवस को सार्थक बना पाएंगे। बाकी, हिन्दी अब निर्विवाद रूप से अपनी स्वीकार्यता बढ़ा रही है,इसका भविष्य निश्चित रूप से नवीन संभावनाओं से भरा हुआ है।

 

© प्रीति खरवार

10 दिसम्बर विश्व मानवाधिकार दिवस

Priti Kharwar

प्रीति खरवार एक स्वतंत्र लेखिका हैं, जो शोध-आधारित हिंदी-लेखन में विशेषज्ञता रखती हैं। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में परास्नातक प्रीति सामान्य ज्ञान और समसामयिक विषयों में विशेष रुचि रखती हैं। निरंतर सीखने और सुधार के प्रति समर्पित प्रीति का लक्ष्य हिंदी भाषी पाठकों को उनकी अपनी भाषा में जटिल विषयों और मुद्दों से सम्बंधित उच्च गुणवत्ता वाली अद्यतन मानक सामग्री उपलब्ध कराना है।

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