महादेवी वर्मा की काव्यगत विशेषताएं
महादेवी वर्मा छायावादी काव्यधारा की तो प्रतिनिधि कवयित्री हैं ही, इसके अतिरिक्त संपूर्ण हिन्दी साहित्य में भी काव्य-जगत में उनकी सी संवेदनशीलता, भावुकता, भावाभिव्यक्ति की सघनता विरल है। वे अपने विशिष्ट काव्य-शैली के लिए सदैव याद की जाएंगी।छायावाद के अनेक कवि यहां बाद में अलग- अलग भावभूतियों से प्रभावित होकर काव्य- प्रणयन करने लगे थे, वहीं महादेवी वर्मा आजीवन अपनी काव्य प्रतिभा से छायावादी काव्यधारा को पुष्पित, पल्लवित और समृद्ध करती रहीं।
उनके काव्य में छायावाद की सामान्य प्रवृत्तियों के अतिरिक्त निम्न विशिष्टताएं भी देखी जा सकती है –
1.रहस्यात्मकता –
एक अज्ञात,अनन्त ईश्वर को समर्पित उनका काव्य एक रहस्यानुभूति का रसास्वादन कराता है जहां ‘तट के पार’ सदियों के घूंघट से निकल कोई आकर थपका देता है, दुलार देता है।
2.जिज्ञासा की अनुभूति-
उनके काव्य में एक प्रश्नाकुल,एक जिज्ञासा सर्वत्र दृष्टिगोचर होती है। ‘कौन तुम मेरे हृदय में ‘ जैसी काव्य पक्तियाँ उनके काव्य में सामान्यतः देखी जा सकती हैं, जहाँ वे उस असीम से प्रश्न करती नज़र आती हैं।
3.वेदनाभूति-
महादेवी वर्मा का संपूर्ण काव्य वेदना की असीम अनुभूति से निम्नपक्तियाँ दृष्टव्य हैं-
मैं नीर भरी दुख की बदली
विस्तृत नभ का कोई कोना
मेरा न कभी अपना होना
परिचय इतना इतिहास यही
उमड़ी कल थी मिट आज चली
मैं नीर भरी दुख की बदली
4.विरह की उत्कृष्ट अवस्था-
महादेवी वर्मा विरह की कवयित्री हैं।वे मिलन से अधिक प्रेम विरह में मानती है,उनके काव्य मे विरह पीड़ा के प्रति नशा देखा जा सकता है। मिलन की गहराई से कहीं अधिक उन्हें विरह मे गहराई प्रतीत होती है और वे कह उठती हैं-
“मिलन का मत नाम लो
मैं विरह मे चिर हूँ।”
5.अमरत्व के प्रति विरक्ति भाव-
महादेवी अमरता को हेय और मरण को प्रेय मानती हैं।उन्हें लगता है कि मृत्यु मनुष्य की पूर्ण विकसित अवस्था है,जबकि अमरता मनुष्य के विकास को अपूर्ण करती है। तभी तो वे कहती हैं- “अमरता है जीवन का हास
मृत्यु जीवन का चिर विकास”
6.मृत्यु को मनुष्य की शक्ति मानना-
महादेवी के काव्य में अमरतत्व देवताओं और मरण मनुष्य की शक्ति के रूप में भी रूपांकित हुआ है। महादेवी मरण को मनुष्य को अधिकार मानते हुए कहती हैं-
“क्या अमरों का लोक मिलेगा
तेरी करुणा का उपहार
रहने दो हे देव अरे यह
मेरा मिटने का अधिकार।”
7.प्रेम की सघनता-
महादेवी वर्मा के काव्य की अन्यतय विशेषता है- प्रेम की सघनता। वे अपने प्रियतम में एकाकार होकर ही स्वयं को पूर्ण मानती हैं। वे प्रियतम के बिना अधूरी हैं। वे साफ शब्दों मे कहती हैं-
“बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ
विरह में हूं अमर सुहागिनी भी हूँ”
8.स्त्री-स्वातंत्रय के प्रति सचेत-
इतना मार्मिक,मधुर और प्रेमिल काव्य लिखने वाली महादेवी स्वयं को कमज़ोर नहीं मानतीं। वे स्त्री मुक्ति के लिए गद्य और पद्य दोनों में लिखती हैं। उनकी श्रृंखला की कड़ियाँ” हिन्दी मे स्त्री- विमर्श की अत्यंत महत्वपूर्ण कृति मानी जाती है।काव्य में भी उनकी ‘ ‘कीर का प्रिय आज पिंजर खोल दो’ जैसी कविताएँ प्रसिद्ध हैं।
9.आध्यात्मिकता-
ईश्वरीय कलेवर को साधना और अर्चना से अपनाना भी उन्हें प्रिय था।अपनी रहस्यवादी और जिज्ञासा भाव से घिरी हुई कविताओं के माध्यम से उन्होंने अपनी आध्यात्मिक मान्यताओं का भी पूर्ण परिचय दिया है।
10.धार्मिक आडम्बरों का विरोध-
महादेवी ने रहस्यवादी जिज्ञासावादी और आध्यात्मिक काव्य लिखकर भी पूजा की तरह-तरह की विधियों कभी नहीं बताई। वे अपने शरीर को ही पूजन के अलग-अलग उपकरण मानती हैं और आडंबरहीनता का समर्थन करती हैं।
“क्या पूजा, क्या अर्चन रे
उस असीम का सुन्दर मंदिर
मेरा लघुत्तम जीवन रे
अक्षत पुलकित रोम / मधुर
मेरी पीड़ा का चंदन रे
प्रिय प्रिय जपते अधर
ताल देता पलको का नर्तन रे “
11.संगीत्मकता –
उनके काव्य में संगीत के नियमों का भी पालन हुआ है। सभी कविताएँ गेय हैं।
12.गीतिकाव्यों की सरसता-
महादेवी को गीतिकाव्यों के लेखन में अपार सफलता मिली। सभी कविताएं गीतिकाव्यों की विशेषताओं से युक्त हैं।
13.लाक्षणिक पदावली –
लाक्षणिकता इनके काव्यों से सर्वत्र व्याप्त है। हर काव्य पंक्ति अप्रतिम सौंदर्य से युक्त है।
14.प्रतीकों का सुंदर प्रयोग-
हर कवि के कुछ प्रिय प्रतीक होते हैं, जिनका वह बार-बार प्रयोग करता है। ‘दीपक’, कुसम’, ‘नाव’, ‘रात’ इत्यादि महादेवी के प्रिय प्रतीक हैं। जिनका उन्होंने बहुत सुंदर, सार्थक और सटीक प्रयोग किया गया है।
15.बिम्ब विधान-
इनके काव्य मे चाक्षुष, श्रोत और घ्राण बिम्ब के अलावा ऐन्द्रिक बिंब बहुत सुंदर और सुपुष्ट रूप में प्रयुक्त हुआ है।
इस प्रकार उपर्युक्त बिंदुओं के माध्यम से हमने देखा कि छायावाद की प्रतिनिधि कवयित्री होने के अलावा महादेवी वर्मा आधुनिक युग की मीरा के रूप में काव्य-संसार में प्रतिष्ठित है। इनके काव्य की भावगत और शिल्प- शैलीगत विशेषताएं अतुलनीय हैं।
© डॉक्टर संजू सदानीरा
इसी तरह अगर आप महादेवी वर्मा की कविता जो तुम आ जाते एक बार का भावार्थ पढ़ना चाहते हैं तो कृपया नीचे दिये लिंक पर क्लिक करके सम्बन्धित लेख पढ़ें..
Behtareen
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद Bintu official