भारतीय वायु सेना दिवस 8 अक्टूबर

भारतीय वायु सेना दिवस 8 अक्टूबर

 

किसी भी देश की संप्रभुता और अखंडता बनाए रखने के लिए सेना की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। भारतीय सेवा के तीन प्रमुख अंग हैं-थल सेना, जल सेना और वायु सेना। भारतीय वायु सेना भारत की तीनों सशस्त्र सेनाओं में एक अहम भूमिका निभाती है। भारतीय वायुसेना की स्थापना ब्रिटिश शासन काल के दौरान ही 8 अक्टूबर 1932 में की गई थी। हालांकि स्थापना के समय इसका नाम रॉयल इंडियन एयर फोर्स था। 1950 में भारत के पूर्ण गणतंत्र घोषित होने के बाद इसका वर्तमान नाम इंडियन एयर फोर्स यानी भारतीय वायु सेना रखा गया। भारत के वर्तमान एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह हैं।

 

भारतीय वायु सेना दिवस का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

8 अक्टूबर को स्थापना होने की वजह से प्रत्येक वर्ष 8 अक्टूबर को भारतीय वायु सेना दिवस के तौर पर देशभर में मनाया जाता है। यह भारत की तरफसे हवाई निगरानी, सुरक्षा और ज़रूरत पड़ने पर हवाई युद्ध का काम करती है। भारतीय वायु सेना का मुख्यालय देश की राजधानी नई दिल्ली में स्थित है। इसका आदर्श वाक्य नभः स्पृशं दीप्तम् है, जिसका उल्लेख श्रीमद् भागवत गीता के 11 में अध्याय में है। द्वितीय विश्व युद्ध के समय इसने औपनिवेशिक भारत की तरफ से अद्भुत शौर्य का परिचय दिया था।

भारत की आज़ादी के बाद पाकिस्तान के विरुद्ध लड़े गए 1948, 1965, 1971 और 1999 के युद्ध में भारतीय वायु सेवा ने असाधारण पराक्रम का परिचय दिया और विश्व पटल पर भारत की छवि एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित की। इसके अलावा 1962 में हुए भारत चीन युद्ध के समय भी भारतीय वायुसेना का उल्लेखनीय योगदान था। 1971 में हुए भारत पाकिस्तान के ऐतिहासिक युद्ध में वायु सेना ने अन्य सशस्त्र सेनाओं के समन्वय से बांग्लादेश को आज़ादी दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रत्येक वर्ष 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस के उपलक्ष्य में हिंडन एयरबेस (उत्तर प्रदेश) में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ग़ौरतलब है कि हिंडन एयरबेस एशिया का सबसे बड़ा एयरफोर्स स्टेशन है। इस अवसर पर एयर शो, परेड समेत अत्याधुनिक तकनीकी कौशल का प्रदर्शन होता है। इस कार्यक्रम में महिला एवं पुरुष वायु सैनिकों द्वारा आकाश में तरह तरह के हैरतअंगेज करतब दिखाए जाते हैं। इस दौरान उल्लेखनीय प्रदर्शन करने वाले वायु सैनिकों को एयर चीफ मार्शल द्वारा सम्मानित भी किया जाता है।

भारतीय वायु सेना ने समय-समय पर ख़ुद को अपडेट किया है और एक शक्तिशाली सैन्य बल के रूप में उभरी है। सेना ने न सिर्फ़ भारत की सुरक्षा हेतु युद्धों में भाग लिया और अभूतपूर्व वीरता का परिचय दिया बल्कि ज़रूरत पड़ने पर आपदा के समय राहत कार्यों एवं मानव सहायता अभियानों में भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया है।

 

तकनीकी प्रगति और उपलब्धियां

भारतीय वायु सेवा ने समय के साथ खुद को अपडेट करने और उन्नत करने के दिशा में काफी प्रगति की है। इसमें स्वदेश निर्मित चेतक, ध्रुव, रूद्र, तेजस, राफेल, सुखोई और प्रचंड जैसे लड़ाकू विमान शामिल हैं जो समय-समय पर आवश्यकता अनुसार विभिन्न मिशनों के लिए काम में लिए गए हैं। इसके साथ ही चिनूक, एमआई-17 और अपाचे जैसे हेलीकॉप्टर्स ने वायु सेना की क्षमताओं को और भी बढ़ाया है।

ये विमान और हेलीकॉप्टर्स युद्ध के अलावा परिवहन और आपदा राहत कार्यों में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की क्षमता रखते हैं। इसके अलावा युद्ध के समय इस्तेमाल की जाने वाली अग्नि और ब्रह्मोस मिसाइलों ने इसे विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है। वायु सेना ने न सिर्फ़ सुरक्षा बल्कि शांति और स्थिरता बनाए रखने में भी अपने भूमिका निभा रही है।

 

भारतीय वायुसेना के समक्ष चुनौतियां

भारतीय वायुसेना की तमाम उपलब्धियों के साथ ही इसके सामने बहुत सारी चुनौतियां भी मौजूद हैं। भारत के पड़ोसी देश विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान से सीमा पर लगातार तनाव की स्थिति बनी रहती है। इसके अलावा दुनिया के विभिन्न देशों में कहीं न कहीं आपसी विवाद भी चलते रहते हैं, जिसका असर देरसबेर देश पर पड़ता ही है। ऐसे में सेना का अपग्रेडेशन और तकनीकी रूप से निरंतर विकसित होना अत्यंत आवश्यक है। उन्नत लड़ाकू विमानों, आधुनिक संचार साधनों और हथियारों कुछ समय के साथ उन्नत और विकसित किए जाने की आवश्यकता है।

रक्षा उपकरणों और तकनीक के संबंध में देश को आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए रक्षा अनुसंधान और विकास कार्यक्रमों में तेजी लाने और इसके साथ ही निरंतर अपडेट किया जाना प्रासंगिक होगा। सेना में शामिल करने से पहले लड़ाकू विमानों और युद्ध संबंधी उपकरणों को कई स्तर पर परीक्षण करना होगा। युद्ध संबंधी उपकरणों के अलावा भारत को हवाई क्षेत्र में चौकसी के लिए भी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की ज़रूरत है, जिससे किसी भी ख़तरे की स्थिति का सामना करने के लिए पहले से तैयार रह सकें।

 

आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में भूमिका

युद्ध संबंधी अभियानों के अलावा भी भारतीय वायु सेना आपदा राहत कार्यों के दौरान सक्रिय रूप से मददगार साबित हुई है। बाढ़, भूकंप, सुनामी या अन्य आपदाओं में भारतीय वायुसेना ने हमेशा आगे रहकर राहत पहुंचाने का काम किया है। वायु सैनिकों के समर्पण, सेवा और सतर्कता ने अनगिनत ज़िंदगियां बचाई हैं। आपदा से प्रभावित लोगों को समय पर भोजन व अन्य ज़रूरत की सामग्री पहुंचाना हो या फिर ख़तरनाक जगहों से लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर लाना इन सब में वायु सेना ने बेहद फुर्ती दिखाई है। इसका नतीजा यह रहा है कि काफ़ी हद तक आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सका है।

 

भविष्य की संभावनाएं

विश्व की सुरक्षा और सैन्य क्षमताओं का आकलन करने वाले वेबसाइट ग्लोबल फायरपॉवर ने 145 देश के सैन्य क्षमताओं का आकलन किया जिसके अनुसार अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत की वायु सेना का विश्व में चौथा स्थान है। सेना के तकनीकी विकास और आधुनिकीकरण के साथ ही इसकी क्षमताओं का निरंतर विस्तार हो रहा है। नए विमानों, युद्धक उपकरणों और तकनीक की सहायता से वायु सेना अपने को और मजबूत बनाते हुए नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है।

इसके अलावा रक्षा उत्पादन में रिसर्च और तकनीकी विकास के लिए आधारभूत संरचनाएं और आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाने से विदेशी आयात और निर्भरता कम की जा सकती है। भारतीय वायु सेना दिवस सिर्फ़ वायु सेना की सफलताओं और उपलब्धियों का जश्न मनाने का ही दिन नहीं बल्कि उन वीर वायु सैनिकों के त्याग, समर्पण और बलिदान को याद करने का भी दिन है, जिन्होंने देश की अखंडता और रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

 

© प्रीति खरवार

 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान : इसरो : ISRO; Indian Space Research Organisation

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