नशा कहानी की मूल संवेदना : Nasha kahani ki mool samvedna

नशा कहानी की मूल संवेदना : Nasha kahani ki mool samvedna  

 

नशा कहानी एक मार्मिक कहानी है। लेखिका मन्नू भंडारी ने मनुष्य की संवेदनाओं को बड़ी कुशलता से इस कहानी में दर्शाया है। मन्नू भंडारी की कहानियाँ पात्रों के आंतरिक संसार का विश्वसनीय और बड़ी सहजता से चित्रण करती हैं। उनकी कहानियों में बनावटीपन नहीं दर्शाया गया इसलिए वे पाठक को गहराई से प्रभावित करती हैं।

समीक्ष्य नशा कहानी का केंद्र आनंदी नामक स्त्री है,जिसे कभी भी अपने पारिवारिक जीवन में सुख की अनुभूति नहीं होती है। उसके वैवाहिक जीवन का प्रारंभ सास की प्रताड़नाओं से होता है। इन प्रताड़नाओं के साथ में शराबी पति के अत्याचार भी बढ़ जाते हैं। उसका पति शंकर शराब का आदी है। आनंदी दूसरों का अनाज पीसकर या कपड़े सिलकर कुछ कमाती है तो वह भी उसका पति छीन ले जाता है और शराब पी लेता है। शराब पीकर वह आनंदी को मारता-पीटता भी है।

आनंदी का बेटा किशनू है, जो अपने पिता से झगड़ा कर लेता है तथा घर से भाग जाता है। किशनू दूसरी जगह रहकर अपनी दुकान बनवा लेता है, घर बनवा लेता है तथा शादी भी कर लेता है। वह अपनी मां आनंदी को वर्षों के बाद अपने साथ ले जाता है और हर प्रकार से अपनी मां को सुख देता है। दिखाया गया है कि बावजूद छोड़कर आ जाने के आनंदी का मन शंकर में ही अटका रहता है। वह अपने पुत्र के घर रहकर भी चुपचाप दूसरों के कपड़े सिलकर शंकर को मनीऑर्डर से रुपए भेजती है। यह एक स्त्री हृदय की प्रबल संवेदना है, जो गहरी विद्रूप सोशल कंडिशनिंग का नतीजा है। 

आनंदी जानती थी कि उसका पति शराबी है, उस पर अत्याचार करता है। उसे मारता- पीटता है, फिर भी उसका मन पति के प्रति गहराई से जुड़ा हुआ है। जुड़ाव भी एक प्रकार का नशा ही है और इस जुड़ाव के नशे के सहारे आनंदी जी रही है और हर प्रकार के कष्ट सहन कर रही है।

शंकर को शराब का नशा है तो आनंदी को प्यार और लगाव का नशा है। यह नशा अधिक आत्मीय, गहरा और स्वाभाविक दिखाया गया है। आनंदी का चरित्र सारी सामाजिक मर्यादाओं और आदर्शों से ऊपर उठकर है और यह चरित्र सच्ची मानवीयता से उभरता है।

नशा कहानी में आनंदी के बेटे किशनू का चरित्र भी बहुत मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। किशनू अपने शराबी पिता से घृणा करता है लेकिन वह अपनी मां को कष्ट में नहीं देखना चाहता है। तभी तो अपनी मां को अपने साथ ले जाता है और पत्नी के सहयोग से मां की समुचित देखभाल करता है। किशनू पूर्ण रूप से अपनी मां को सुख देता है। लेकिन जब उसे पता चलता है कि उसकी मां अभी दूसरों के कपड़े सिलकर अपने शराबी पति को मनीऑर्डर से रुपए भेजती है तो उसे बहुत दुःख होता है।

नशा कहानी से मन्नू भंडारी समाज को भी संदेश देना चाहती है कि शराब की आदत के कारण जिस प्रकार से शंकर का अच्छा सुखी परिवार उजड़ गया। शंकर के दो बेटे बीमारी के कारण तड़प-तड़प कर मर गए। खेत-खलिहान चले गए। गाय-भैंस चली गई। इतना सब होने के बाद भी शंकर ने शराब पीना नहीं छोड़ा। इस प्रकार से समाज को संदेश भी दिया गया है कि शराब जानलेवा होती है। इससे सब कुछ चला जाता है, अतः ऐसे जानलेवा जहर से दूर रहना ही हितकर होता है।शराब के कारण बर्बाद हुए परिवार इस कहानी से रिलेट कर सकते हैं। 

मन्नू भंडारी ने इस कहानी में पात्रों की योजना बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत की है। कहानी को मनुष्य केंद्रित किया गया है। गरीबी में घिरे निम्न आय परिवार को ही नहीं, स्त्री द्वेषी सोच और पितृसत्ता को भी यहाँ पकड़ा जा सकता है।

नशा कहानी में आनंदी कहानी का केंद्र है। आनंदी अपने पारिवारिक जीवन में सुख की अनुभूति नहीं करती। कहानी में पारिवारिक चित्रण जैसे सास की प्रताड़ना एवं शराबी पति के अत्याचार बहुत ही सहज ढंग से दर्शाए गए हैं। इतने अत्याचार सहने के बाद भी भारतीय नारी के चरित्र में आनंदी का शराबी पति शंकर के प्रति प्रेम-भाव और लगाव साफ झलकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि कहानी में पात्रों की योजना बहुत ही सुंदर ढंग से की गई है और कहानी बहुत ही मार्मिक है। समाज का वास्तविक चेहरा, जिसे अब बदल जाना चाहिए, का बहुत सही रूप में चित्रण किया गया है। 

 

© डॉ. संजू सदानीरा 

 

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