डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल का एकांकी के क्षेत्र में योगदान

 

डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल का एकांकी के क्षेत्र में योगदान

 

डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल का जन्म उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में 1927 ई. में हुआ था। हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर एवं पीएचडी की उपाधि से सम्मानित डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल की स्वतंत्रयोत्तर काल में हिंदी नाटक एवं रंगमंच को समृद्ध करने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रयाग में इन्होंने एक नाट्य संस्था स्थापित करने के साथ अनेक नाटकों के प्रदर्शन का संचालन किया। इतना ही नहीं अपने लिखे नाटकों का मंचन करने के साथ-साथ यह उनमें अभिनय भी किया करते थे।

डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल का प्रथम एकांकी ‘ताजमहल के आंसू’ इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पत्रिका में 1950 में प्रकाशित हुआ। यह एकांकी आधुनिक भावबोध से इस सुरम्यता से अनुरंजित थी कि आधुनिक हिंदी जगत के डॉक्टर लाल की नाट्य प्रतिभा का सुस्पष्ट परिचय मिल गया।

शुरुआत में हालांकि डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल ने ऐतिहासिक विषयों से संबंधित एकांकियों की रचना, भावना और कल्पना के सम्मिश्रण से की। लेकिन जैसे-जैसे उनके भीतर का साहित्यकार समाज में गहराता गया, बारीकी से सामाजिक उतार-चढ़ाव को देखने लगा, उनकी एकांकियों ने धीरे-धीरे वर्तमान सामाजिक जीवन की तमाम कटु सच्चाइयां लाक्षणिक एवं व्यंग्यात्मक शैली में अभिव्यक्त होने लगीं।

डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल का रंगमंच से गहरा जुड़ाव रहा। वह जब तक जिए नाटक और रंगमंच के विकास के लिए विविध प्रयास एवं नए-नए प्रयोग करते रहे। उन्होंने अपने नाटक एवं एकांकियों में आधुनिक जीवन की विडंबनाओं पर तीखे व्यंग किए हैं। पौराणिक प्रतीकों का प्रयोग भी उन्होंने आधुनिक परिवेश की विसंगतियों को प्रभावी ढंग से रेखांकित करने के लिए किया है।

डॉक्टर लक्ष्मी नारायण लाल की एकांकियों की विशेषता बताते हुए डॉक्टर श्रीवर सिंह ने लिखा है- “डॉक्टर लक्ष्मीनारायण लाल की नाट्य कृतियों की कथानक का आधार समाज की जर्जर आस्थाएं, संकीर्ण विचार और रूढ़ियां हैं।”

दहेज प्रथा, श्रमिकों की समस्या, जीवन की सामाजिक सुविधाओं के असमान वितरण और मूल्यह्रास के अनेक चित्र आपके एकांकी साहित्य में विद्यमान हैं, जिनकी प्रेरणा तीव्र एवं प्रभावी है। नारी की शक्ति के प्रति डॉक्टर लाल का दृष्टिकोण विश्वास पूर्ण है। चेखव और ऑस्कर वाइल्ड जैसे महान रचनाकारों का प्रभाव स्पष्टतः डॉक्टर लाल की एकांकी रचनाओं पर देखा जा सकता है।

डॉ लक्ष्मी नारायण लाल के प्रमुख एकांकी संग्रह निम्न हैं- ताजमहल के आंसू, पर्वत के पीछे, नाटक बहुरंगी, नाटक बहुरूपी, दूसरा दरवाजा, खेल नहीं नाटक, शरण दर्शन, मादा कैक्टस, एक और अभिमन्यु और कल्कि इनकी बहुचर्चित नाट्य कृतियां हैं।

© डॉ. संजू सदानीरा

 

टूटा पहिया कविता की मूल संवेदना के लिये कृपया नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक कर सम्बन्धित लेख पढ़ें..

 

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Dr. Sanju Sadaneera

डॉ. संजू सदानीरा एक प्रतिष्ठित असिस्टेंट प्रोफेसर और हिंदी साहित्य विभाग की प्रमुख हैं।इन्हें अकादमिक क्षेत्र में बीस वर्षों से अधिक का समर्पित कार्यानुभव है। हिन्दी, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान विषयों में परास्नातक डॉ. संजू सदानीरा ने हिंदी साहित्य में नेट, जेआरएफ सहित अमृता प्रीतम और कृष्णा सोबती के उपन्यासों पर शोध कार्य किया है। ये "Dr. Sanju Sadaneera" यूट्यूब चैनल के माध्यम से भी शिक्षा के प्रसार एवं सकारात्मक सामाजिक बदलाव हेतु सक्रिय हैं।

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