छात्रावास में कविता पाठ कविता की मूल संवेदना : Chhatrawas me kavita path
छात्रावास में कविता पाठ कविता समकालीन कविता के महत्त्वपूर्ण कवि ऋतुराज की एक अत्यंत लोकप्रिय एवं प्रेरक कविता है। पुल में पानी, सुरत निरत, अबेकस और लीला मुखारविन्द इनके प्रमुख काव्य संकलन हैं।
छात्रावास में कविता पाठ कविता के माध्यम से ऋतुराज युवाओं व विद्यार्थियों के जीवन व सोच पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। संभवतः कवि को किसी छात्रावास में कविता पाठ के लिए बुलाया जाता है। वहां करीब 25 विद्यार्थी उनकी कविता सुननी आते हैं। कवि भ्रष्ट नेताओं और लालसाओं के शिखर पर चढ़े सत्तासीनों को युवाओं के माध्यम से खदेड़े जाने का सपना देखते हैं। लेकिन कवि को डर है कि विद्रोही तेवर के ये युवा ताकत से भरे नेताओं की वक्र दृष्टि की भेंट न चढ़ जाएं!
कवि यह भी सोचते हैं कि युवा आक्रोश नेतृत्व परिवर्तन करेगा या उनको कारावास भोगना पड़ेगा! आशंकाओं एवं तमाम प्रश्नों के बीच भी कवि अपनी आस्था पर कायम रहते हुए सोचते हैं कि कविता सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करेगी बल्कि व्यवस्था परिवर्तन का माध्यम भी बनेगी। दूसरे शब्दों में कवि कविता को बहुत ही सार्थक और उपयोगी मानते हैं। सत्ता की ताकत से युवाओं व साहित्य को कवि अधिक सामर्थ्यवान मानते हैं।
इस प्रकार ऋतुराज की छात्रावास में कविता पाठ एक उम्मीद भरी कविता है जो एक सकारात्मक संदेश देने में सफल हुई है। कविता अपने सरोकार के माध्यम से समकालीन एवं प्रासंगिक बन पड़ी है।
© डॉ. संजू सदानीरा
परिसर कविता की मूल संवेदना : Parisar kavita ki mool samvedna
छात्रावास में कविता-पाठ
कोई पच्चीस युवा थे वहाँ
सीटी बजी और सबके सब
एकत्रित हो गए
कौन कहता है कि वे
कुछ भी सुनना-समझना नहीं चाहते
वे चाहते हैं दुरुस्त करना
समय की पीछे चलती घड़ी को
धक्का देना चाहते हैं
लिप्साओं के पहाड़ पर चढ़े
सत्तासीनों को नीचे
कहाँ हुई हिंसा?
किसने विद्रोह किया झूठ से?
भ्रम टूटे मोहभंग हुए और प्रकाश के
अनूठे पारदर्शीपन में
उन्होंने सुनी कविताएँ और नए
आत्मविश्वास से आलोकित हो गए
उनके चेहरे
क्या वे अपना रास्ता खुद खोजेंगे?
क्या इससे पहले ही
उन्हें खींचकर ले जाएँगे
राजनीति के गिद्ध ?
नहीं, कविताएँ इतनी तो
असफल नहीं हो सकती
उनमें से कोई तो उठेगा और
कहेगा
हमें बदल देना चाहिए यह सब…
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