काल पुरुष और अजन्ता की नर्तकी एकांकी की मूल संवेदना
काल पुरुष और अजन्ता की नर्तकी एकांकी डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल के आधुनिक विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक अत्यंत प्रासंगिक और विमर्शयुक्त एकांकी है। इस एकांकी के माध्यम से उन्होंने पितृसत्तात्मक अथवा पुरूषवादी सोच पर मार्मिक व्यंग्य किया है।
साथ ही स्त्री की अस्मिता और अस्तित्व के पक्ष में कुछ जरूरी सवाल उठाए हैं। उन्होंने एक ही साथ पुरुष की क्षुद्र दृष्टि, स्त्री के सम्बन्ध में दकियानूसी और परम्परागत सोच के साथ-साथ आज की प्रगतिशील और स्वतंत्रचेता स्त्री के दर्शन करवाए हैं।
स्त्री का कहीं निकल जाना उसे फिर आजीवन निष्कलुष नहीं रहने देता,उसकी देह,उसकी सोच सब संदेह के दायरे में आ जाती है। समाज की दोहरी मानसिकत भी एकांकी में बहुत गहराई से व्यक्त हुई है। एकांकी उस बीमार सोच पर सवाल उठाती है, जिसके तहत पुरूषों का अपने मित्रों के साथ घूमना उनकी यायावरी प्रवृत्ति और लड़कियों का ऐसा करना उनकी आवारगी को दर्शाता है।
अलका का अपना अपमान बर्दाश्त न करना और घर छोड़ देना एक स्वाभिमानी स्त्री पात्र की सर्जना करता है। अनूप की माँ को बेहद प्यार करना, उनकी तस्वीर लगाने की जिद करना बताता है, कि स्त्री किसी के हाथों की कठपुतली मात्र नहीं है वरन उसकी स्वयं की भी पसन्द-नापसंद और निर्णय शक्ति है, जिसके लिए वह जिरह कर सकती है।
अनूप की मां का भिखारिन होना और अनूप का हमेशा इस बात को छुपाना, माँ का नाम भी कभी न लेना उसके व्यक्तित्व के कमजोर पहलू को दर्शाता है। उसे अपने अतीत की कमी से इस कदर ग्रस्त दिखा कर एकांकी को एक सही मनोवैज्ञानिक रुख देने में एकांकीकार पूरी तरह सफल रहे हैं।आज मनोविज्ञान में ऐसे खंडित व्यक्तित्व विवेचन और अध्ययन के विषय हैं।
तथाकथित दोस्तों (मर्दों) की बातचीत में स्त्रियों के चरित्र हनन को कितनी सहजता से जस्टीफाई कर दिया जाता है, इस पर भी श्रीलक्ष्मीनारायण लाल ने यथार्थ दृष्टि से विचार किया है।
सही मायने में “काल पुरुष और अजंता की नर्तकी ” एक आधुनिक दृष्टि सम्पन्न और सकारात्मक सन्देश से युक्त एकांकी है।
काल पुरुष और अजन्ता की नर्तकी एकांकी के आधार पर प्रभा का चरित्र-चित्रण
काल पुरुष और अजंता की नर्तकी डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल का आधुनिक संदर्भों से युक्त और पूर्णतः प्रासंगिकता रखने वाला एकांकी है।
इस एकांकी के आधार पर प्रभा की निम्न विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती हैं-
(1) एकांकी की नायिका
(2) आकर्षक व्यक्तित्व वाली युवती
(3) प्रेमिल स्वभावयुक्त
(4) संस्कारवान और जिम्मेदार (बुजुर्गों का सम्मान करने की भावना)
(5) दाम्पत्य सम्बन्धों के प्रति आस्था
(6) स्पष्ट एवं स्वछन्द विचारों वाली स्त्री (स्व को जानने वाली)
(7) कला प्रेमी और सुरुचिपूर्ण व्यक्तित्व
(8) स्वाभिमानी स्त्री का प्रतीक
(9) दृढ़ निश्चय की धनी
(10) साहस एवं बहादुरी की प्रतिमूर्ति
उपर्युक्त बिंदुओं को देखकर कहा जा सकता है, कि प्रभा डॉ. लाल द्वारा सृजित एक ऐसा स्त्री पात्र है,जो पूरी तरह स्त्री सशक्तिकरण को बल प्रदान करता है। प्रभा आज की शिक्षित, जागरुक, स्वाभिमानी स्त्री का प्रतीक बन कर उभरी है,जो दो वक़्त की रोटी और एक अदद छत के लिए अपना आत्म सम्मान गिरवी नहीं रख सकती।
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https://youtu.be/zsvJtOK2plM?si=SHL3PxsIzVJkJknG
https://youtu.be/UlLdihTJVSM?si=NA3IL4Lt053_qe2L
https://youtu.be/M7raU41oyNM?si=-JXTJdtvspPhwYW6
https://youtu.be/C7GmUP6MTfU?si=jaI7gaeB8MG4Rm9X
https://youtu.be/r5c3Wx0INKI?si=XUGAUs-2h8QjnNdK
© डॉ. संजू सदानीरा
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