कबिरा खड़ा बजार में नाटक की मूल संवेदना

कबिरा खड़ा बजार में नाटक की मूल संवेदना

 

कबिरा खड़ा बजार में भीष्म साहनी द्वारा रचित एक अत्यंत महत्वपूर्ण और समसामयिक नाटक है। भीष्म साहनी हिंदी के उन लेखकों में सम्मिलित किए जाते हैं, जिनका झुकाव मार्क्सवाद की तरफ और प्रकारांतर से जनता की तरफ है। कबिरा खड़ा बजार में एक जीवनीपरक नाटक है,जिसमें महान संत कबीर के जीवन को नाटक का विषय बनाया गया है।

प्रकारांतर से इस नाटक के माध्यम से कबीर के विचारों की प्रासंगिकता पर बल दिया गया है। कबीर के जीवन के व्यक्तिगत संघर्षों को रेखांकित करने के साथ-साथ समाज के लिए उनके विचारों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला गया है। नाटक साफ तौर पर मौलवी और कोतवाल के संवादों के माध्यम से यह स्पष्ट करता है कि मजहब या धर्म उसके अनुयायियों के कारण नहीं बल्कि शासक की रुचि के कारण फैलते हैं।

इस नाटक में मठाधीशी की आड़ में चलने वाले अवैध धंधों पर भी चिंता व्यक्त की गई है।नाटक प्रमाणित करता है कि धर्म दरअसल वर्चस्व की लड़ाई का प्रतीक है। जिसका शासन है,वह अपने पसंद के धर्म को बड़ी चतुराई के साथ राज्य पर अनिवार्य व्यवस्था की तरह लागू कर देता है। नाटक में तार्किक एवं दार्शनिक विचारों को जगह-जगह महसूस किया जा सकता है।

धार्मिक (मजहबी) पाखंड और अनावश्यक रीति-रिवाजों का कबीर के माध्यम से खंडन किया गया है।नाटक में बार-बार यह स्थापित करने का सुंदर प्रयास किया गया है, कि स्थान विशेष का पवित्रता से कोई संबंध नहीं होता है,अपितु मनुष्य को अपने हृदय की पवित्रता के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। जात-पात एवं धार्मिक आधार पर किसी भी प्रकार की छुआछूत मनुष्यता से नीचे गिरना है,यह भी नाटक में बताया गया है।

बहुत अधिक विद्वता उतनी उपयोगी नहीं बल्कि प्राणिमात्र के लिए करुणा अधिक सुंदर है।

नाटक के माध्यम से यह भी संदेश दिया गया है कि न्याय,सत्य,प्रेम एवं बंधुत्व की बात करने वाले लोग शासक वर्ग को चुभते हैं  और ऐसे लोग बार-बार सत्ता के प्रतिष्ठानों द्वारा सताए जाते हैं। कबिरा खड़ा बाजार में नाटक इस बात को बहुत मार्मिकता के साथ दिखाता है।

 

इस प्रकार कबिरा खड़ा बजार में नाटक के माध्यम से न सिर्फ निर्गुण संत कवि कबीर के जीवन संघर्षों पर प्रकाश डाला गया है,बल्कि उनके जीवन-दर्शन के माध्यम से प्रेम एवं करुणा का संदेश देने के साथ-साथ छुआछूत,बाह्य आडंबर  छोड़ने एवं वैमनस्य नहीं रखने का भी संदेश दिया गया है।

 

© डॉक्टर संजू सदानीरा

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