आदिकाल की प्रमुख काव्य धाराएँ/काव्य रूप : Adikal ki pramukh dharayen
आदिकाल की प्रमुख काव्य धाराएँ समझने के लिए इसकी प्रवृत्तियों पर बात करना स्वाभाविक है। साहित्य का प्रारंभ चूँकि विद्वानों ने हिंदी साहित्य के युग विभाजन में आदिकाल से माना है, अतः आदिकाल की समस्त प्रवृत्तियां एवं परिस्थितियों पर विचार करना प्रासंगिक रहेगा।इसके पहले इस युग के प्रमुख काव्य रूपों पर विचार किया जा रहा है।
आदिकाल में मुख्यतः निम्नलिखित पांच प्रकार का साहित्य रचा गया है..
1. जैन काव्य-
आदिकाल में जैन साहित्य प्रचुर मात्रा में दिखाई देता है। इस साहित्य के जैन कवियों में जैन मुनियों का जीवनीपरक आख्यान रचा है। भविष्यत् कथा और भरतेश्वर बाहुबली रास, योगदान इत्यादि प्रमुख जैन कृतियां हैं। धनपाल (भविष्यत कथा), शालिभद्र सूरि (भरतेश्वर बाहुबली रास) ,जोइंदु (योगसार) इत्यादि प्रमुख जैन कवि हैं।
2. रासो काव्य-
आदिकाल में रासो काव्य भी बहुत अधिक संख्या में रचे गए। रासो काव्य में राजाओं के आपसी युद्धों एवं काव्य की नायिकाओं के अलौकिक सौंदर्य का चित्रण होता है। इसलिए इसमें वीर एवं श्रृंगार दो रसों का अत्यंत मोहक संयोजन देखने को मिलता है। चंदवरदाई,शारंगधर जगनिक प्रमुख रासो कवि हैं। पृथ्वीराज रासो, हम्मीर रासो, परमाल रासो (आल्हा खंड) क्रमशः इनकी रचनाएं हैं।
3. रासक काव्य-
अधिकांश रासक काव्य का उल्लेख रासो काव्य के साथ ही करते हैं लेकिन रासक काव्य रासो काव्य की वीरगाथात्मक प्रवृत्ति से अलग प्रेम आधारित काव्य होते हैं। ध्यान देने लायक बात यह है कि इन कवियों के नाम में भी ‘रासक’ की जगह ‘रासो’ देखा जाता है।
रासो एवं रासक काव्य में मूलतः भाषा और शैलीगत अंतर होता है। वीरगाथात्मक प्रवृत्ति वाले रासो काव्य में जहां डिंगल शैली का प्रयोग होता है वहीं प्रेमाधारित रासक काव्य में पिंगल शैली का प्रयोग होता है।
4. सिद्ध साहित्य-
आदिकाल में सिद्ध साहित्य एक महत्त्वपूर्ण साहित्य के तौर पर प्रतिष्ठित है। सिद्धों की संख्या चौरासी मानी जाती है, जिनमें सरहपा, लुइपा, डोम्बिपा, कुक्करिपा ,शबरपा इत्यादि अत्यंत उल्लेखनीय माने जाते हैं। सिद्धों में साधना की वाममार्गी पद्धति प्रचलित थी । वाममार्गी अथवा तांत्रिक पद्धति में मदिरा सेवन, युगनद्ध अवस्था में साधना,शमशान साधना इत्यादि प्रचलित थे।
5. नाथ साहित्य-
नाथ साहित्य आदिकालीन काव्य में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नाथों की संख्या नौ मानी जाती है। गोरखनाथ को नाथ साहित्य का प्रवर्तक माना जाता है और मत्स्येंद्रनाथ इनके गुरु माने जाते हैं।
प्रश्नोत्तरी
प्रश्न:1. आदिकाल में कुल कितने प्रकार का साहित्य लिखा गया?
अथवा
आदिकाल की प्रमुख काव्य धाराएँ लिखिए।
उत्तर: आदिकाल में मुख्यतः निम्न पांच प्रकार का साहित्य लिखा गया-
1.जैन साहित्य
2.रासो साहित्य
3.रासक साहित्य
4.सिद्ध साहित्य
5.नाथ साहित्य
कुछ लोग “रासो” और “रासक” काव्य को एक नाम में ही समाहित कर देते हैं, तब मुख्यतः चार प्रकार का साहित्य आदिकाल में माना जाएगा।
प्रश्न:2. जैन काव्य के प्रमुख ग्रंथ एवं उनके रचयिताओं के नाम बताएं।
उत्तर: भारतेश्वर बाहुबली रास- शालिभद्र सूरि
श्रावकाचार- देवसेन
बुद्धिरास- शालिभद्र सूरि
भविष्यतकथा- धनपाल
नेमिनाथ चौपाई- विनयचंद्र सूरि
चंदनबाला रास- आसगु
जीव दया रास- आसगु
गौतम स्वामी रास- उदयवंत
स्थूलिभद्र रास- जिन धर्म सूरि
रेवंत गिरिरास- विजयसेन सूरि
प्रश्न: 3.प्रमुख रासो काव्य एवं उनके काव्यकारों के नाम बताएं।
उत्तर: पृथ्वीराज रासो- चंदबरदाई
बीसलदेव रासो- नरपति नाल्ह
परमाल रासो- जगनिक
हम्मीर रासो- शारंगधर
खुमाण रासो- दलपति विजय
विजयपाल रासो- नल्ल सिंह भट्ट
बुद्धि रासो- कल्हण
मुंज रासो- अज्ञात
प्रश्न: 4.सिद्ध साहित्य की प्रमुख रचनाएं कौन सी हैं?
उत्तर: दोहा कोश- सरहपा
चर्यापद- सबरपा
डोंबिगीतिका- डोम्बिपा
योग चर्चा- डोम्बिपा
प्रश्न: 5.सिद्ध साहित्य का प्रवर्तक किसे माना जाता है?
उत्तर: सिद्ध सरहपा को सिद्ध साहित्य का प्रवर्तक माना जाता है।
प्रश्न: 6.नाथ साहित्य के प्रवर्तक कौन हैं?
उत्तर:नाथ साहित्य के प्रवर्तक गोरखनाथ हैं।
प्रश्न:7. गोरखनाथ के गुरु का नाम क्या है?
उत्तर:गोरखनाथ के गुरु का नाम मत्स्येंद्रनाथ ( मछंदरनाथ) है।
प्रश्न: 8.गोरखनाथ की प्रमुख रचनाओं के नाम बताएं।
उत्तर: गोरखनाथ की 40 रचनाएं मानी जाती हैं, जिनमें से 14 को प्रामाणिक बताया जाता है। प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं..
शब्द /स्फुट
चरित पद
रोमावली
प्रधान तिलक
काफिर बोध
शिष्य दर्शन
अभय मुद्रा योग
प्राण सांकली इत्यादि।
प्रश्न: 9: जैन परंपरा के प्रथम कवि कौन थे?
उत्तर:स्वंयभू को जैन परंपरा का प्रथम कवि माना जाता है।
प्रश्न:10: जैन कवियों ने “कृष्ण कथा” को क्या कहा?
उत्तर- जैन कवियों ने “कृष्ण कथा” को “हरिवंश पुराण” कहा।
© डॉ. संजू सदानीरा
इसी तरह छायावाद की विशेषताएँ पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक कर सम्बन्धित लेख पढ़ सकते हैं..
1 thought on “आदिकाल की प्रमुख काव्य धाराएँ/ काव्य रूप : Adikal ki pramukh dharayen”